धर्म डेस्क :-ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि दो राशियों के स्वामी हैं। मकर और कुंभ राशि के स्वामी है। इसलिए शनिदेव को ये दो राशियां प्रिय है। बता दें कि सूर्य और चंद्रमा के अलावा बाकी सभी ग्रह दो राशियों के स्वामी हैं।
शनिदेव का नाम सुनती ही सभी लोग भयभीत हो जाते हैं। क्योंकि, शनिदेव कर्मफल दाता है वह व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि दो राशियों के स्वामी हैं। मकर और कुंभ राशि के स्वामी है। इसलिए शनिदेव को ये दो राशियां प्रिय है। बता दें कि सूर्य और चंद्रमा के अलावा बाकी सभी ग्रह दो राशियों के स्वामी हैं। हालांकि, इसके अलावा भी दो राशियां ऐसी है जो शनिदेव को बहुत प्रिय है। इन राशियों को शनि साढ़ेसाती और ढैय्या में भी ज्यादा कष्ट नहीं देते हैं।
साल के पहले दिन है मासिक शविरात्रि
साल के पहले ही दि शनिवार पड़ रहा है और साथ ही इस दिन पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी और चतुर्दशी भी साथ ही पड़ कही है। ऐसे में भगवान शिव का प्रिय व्रत मासिक शिवरात्रि भी साल के पहले ही दिन है। इस दिन अमृत और सिद्ध योग भी बन रहा है। ऐसे में भगवान शिव और शनि देव दोनों का आशीर्वाद एक ही दिन पाया जा सकता है।
शनिदेव को ऐसे करें प्रसन्न.
कहा जाता है कि शनि अमावस्या को शनि भगवान से जुड़े उपाय करने से जीवन में खुशियां आती हैं। इस दिन का स्वयंसिद्ध मुहूर्त है। यह शनि जयंती ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाई जाती है।
शनि से जुड़ी कुछ खास बातें
पंडित शर्मा के अनुसार शनि जन्मोत्सव पर आप शनि को प्रसन्न करने के उपाय कर सभी परेशानी से छुटकारा पा सकते हैं। पंडित सुनील शर्मा के अनुसार इस मान्यता को लेकर कई कथाएं प्रचलित है। इन्हीं कथाओं के अनुसार पिता सूर्य और छाया की संतान शनि का जन्म ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हुआ था।
हर शनिवार इस विधि से करें पूजा
शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे काली बाती बनाकर सरसों तेल का दीप जलाएं। पीपल को जल और काली चिंटियों गुड़ दें तो शनि के दोषों से मुक्ति मिलती है। पीपल के पत्तों पर मिठाई रखकर पितरों का ध्यान करें तो पितृदोष भी दूर होता है।
ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
पीपल के वृक्ष पर जल सूर्योदय के बाद ही चढ़ाना चाहीए। जिससे आपके ऊपर माता लक्ष्मी की कृपा द्रष्टि सदा बनी रहे। पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करता है उसकी सर्व मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साथ ही शत्रुओं का नाश भी होता है।
प्रातः काल सुबह 7:00 बजे से ही सर्वार्थ सिद्धि योग होने के कारण सुबह-सुबह किसी पवित्र नदी या तालाब में स्नान करके या घर पर ही गंगाजल डालकर स्नान करके शनिदेव के मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करने से विशेष फल प्राप्त होगा। इस दिन शनि देव को सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। शनि देव को काला रंग अत्यधिक प्रिय है। कहा जाता है कि शनिदेव को आक के फूल बेहद प्रिय हैं।
शनि की शुभ दृष्टि जीवन में हमेशा बनी रहे इसके लिए शनिवार के दिन पूजा एवं व्रत का विशेष महत्व होता है जिसका शुभ प्रभाव ग्रहों की दिशा पर खासतौर पर होता है। शनिवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में समय पूर्वक उठकर स्नान करने के बाद पीपल के पेड़ में जल अर्पण करने से भी आपको शीघ्र लाभ मिलता है। पीपल के पेड़ में जल चढ़ाने के साथ ही उसकी जड़ में मिट्टी के दीये में सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए यह उपाय भी आपको तुरंत लाभ दिलाता है। शनि की दृष्टि से हमेशा जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बना रहे इसके लिए लगातार 7 शनिवार तक शनि देव की प्रतिमा पर सरसों का तेल चढ़ाना चाहिए।
शनि साढ़ेसाती का प्रभाव कम करने के लिए शनिवार के दिन नारियल को अपने ऊपर से वारकर जल में प्रवाहित करें। गरीबों को मीठा दान करें। ऐसा करने से जीवन में आ रहे संकट दूर हो जाएंगे।
बहुत दिनों से अगर सरकारी नौकरी के लिए प्रयास कर रहे हैं या फिर भी नौकरी नहीं लग रही है तो समझ लें कुंडली में शनि दोष चल रहा है। इसे दूर करने के लिए शनिवार के दिन शनि संबंधित वस्तुओं का दान करें जैसे उड़द की दाल, सरसों का तेल, लोहा, काले कपड़े, जूते, तिल आदि
प्रमाण :-इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’
(आपकी कुंडली के ग्रहों के आधार पर राशिफल और आपके जीवन में घटित हो रही घटनाओं में भिन्नता हो सकती है। पूर्ण जानकारी के लिए कृपया किसी पंड़ित या ज्योतिषी से संपर्क करें।)
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