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बाबा खाटू श्याम जन्मदिन : Baba Khatu Shyam Birthday

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श्याम बाबा (Khatu Shyam Baba) का जन्मदिवस पंचांग के अनुसरा, देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन मनाया जाता है. यह तिथि आज 23 नवंबर 2023 के दिन है. यानी आज खाटू श्याम बाबा ( Khatu Shyam Baba Birthday ) का जन्मदिवस मनाया जा रहा है. श्याम बाबा के जन्मदिन के खास मौके पर आप अपनों को बधाई दे सकते हैं. आइये आपको श्याम बाबा के जन्मदिवस (Khatu Shyam Birthday Wishes) के लिए खास शुभकामना संदेश के बारे में बताते हैं।  हिन्दू पंचांग के अनुसार श्री खाटू श्याम जी की जयंती प्रतिवर्ष कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इसी दिन देवउठनी एकादशी भी पड़ती है। इस दिन श्री खाटू श्याम जी की विधिवत पूजा के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के भोग भी अर्पित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि श्री खाटूश्याम जी भगवान कृष्ण के कलियुगी अवतार हैं। राजस्थान के सीकर में श्री खाटू श्याम की भव्य मंदिर स्थापित है। मान्यता है कि यहां भगवान के दर्शन मात्र से ही हर मनोकामना पूरी हो जाती है। कौन थे श्री खाटू श्याम जी? शास्त्रों के अनुसार श्री खाटू श्याम जी का संबंध महाभारत काल से माना जाता है। वे पांडु के पुत्र भीम के पौत्र...

जानिए माता सीता गाय, कौवा, ब्राह्मण और नदी को श्राप क्यों दिया।

धर्म डेस्क:-  क्योंकि उन्हें लगा कि माता सीता झूठ बोल रही हैं। इस बात माता सीता क्रोधित हो गईं और झूठ बोलने की सजा देते हुए अजीवन श्रापित कर दिया। माता सीता से पंडित को श्राप मिला कि पंडित को कितना भी मिलेगा लेकिन उसकी दरिद्रता कभी दूर नहीं होगी। कौवे को कहा कि उसका अकेले खाने से कभी पेट नहीं भरेगा और आकस्मिक मृत्यु होगी। अपने पूर्वजों की आत्मा की शान्ति के लिए पिंडदान की विधि को निभाना आवश्यक है। मृत्यु के बाद आत्मा की शान्ति के लिए श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं क्योंकि ऐसी मान्यता है कि हमारे पूर्वज श्राद्ध में ब्राह्मणों के रूप में भोजन करने आते हैं और इससे आत्मा को तृप्ति मिलती है।
प्रभु श्रीराम के अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ वनवास जाने की बात हम सभी जानते हैं। इस बात से अयोध्या के सभी निवासी दुखी थे। राजा दशरथ, राम और लक्ष्मण के वियोग के इस दर्द को झेल नहीं सकें और उनकी मृत्यु हो गई। पिता की मृत्यु के इस खबर से राम और लक्ष्मण सभी को गहरी ठेस पहुंची। दोनों ने ही जंगल में ही पिंडदान करने का निश्चय किया। इसके लिए राम और लक्ष्मण दोनों जंगल में ही आवश्यक सामग्री को एकत्रित करने के उद्देश्य से निकल गए। इधर पिंडदान का समय निकलता ही जा रहा था। समय के महत्व को समझते हुए माता सीता ने अपने पिता समान ससुर दशरथ का पिंडदान उसी समय राम और लक्ष्मण की उपस्थिति के बिना किया।
माता सीता ने पूरी विधि विधान का पालन कर इसे सम्पन्न किया। कुछ समय बाद जब राम और लक्ष्मण लौटकर आए तो माता सीता ने उन्हें पूरी बात बताई और यह भी कहा कि उस वक्त पंडित, गाय, कौवा और फल्गु नदी वहां उपस्थित थे। साक्षी के तौर पर इन चारों से सच्चाई का पता लगा सकते हैं। श्री राम ने इस बात की पुष्टि करने के लिए चारों से पूछा तो इन चारों ने ही यह कहते हुए झूठ बोल दिया कि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं। इस बात से दोनों भाई सीता से नाराज हो गए। राम और लक्ष्मण को लगा कि सीता झूठ बोल रही हैं। इनकी झूठी बातों को सुनकर सीता माता क्रोधित हो गईं और उन्हें झूठ बोलने की सजा देते हुए आजीवन श्रापित कर दिया। सारे पंडित समाज को श्राप मिला कि पंडित को कितना भी मिलेगा लेकिन उसकी दरिद्रता हमेशा बनी रहेगी।
कौवे को कहा कि उसका अकेले खाने से कभी पेट नहीं भरेगा और वह आकस्मिक मौत मरेगा। फल्गु नदी के लिए श्राप था कि पानी गिरने के बावजूद नदी ऊपर से हमेशा सुखी ही रहेगी और नदी के ऊपर पानी का बहाव कभी नहीं होगा। गाय को श्राप दिया गया कि हर घर में पूजा होने के बाद भी गाय को हमेशा लोगों का जूठन खाना पड़ेगा। रामायण में इस कहानी का जिक्र भी किया गया है।आप आज के समय में भी इन चारों पर सीता माता के श्राप के प्रभाव को देख सकते हैं। 
प्रमाण :-
इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

(आपकी कुंडली के ग्रहों के आधार पर राशिफल और आपके जीवन में घटित हो रही घटनाओं में भिन्नता हो सकती है। पूर्ण जानकारी के लिए कृपया किसी पंड़ित या ज्योतिषी से संपर्क करें।)

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