धर्म डेस्क:-सकट चौथ का व्रत रखा जाएगा। इसे तिलकुट चौथ के नाम से भी जाना जाता है। ये साल की 4 बड़ी चतुर्थी में से एक होती है। माघ महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली ये चतुर्थी महिलाओं के लिए काफी खास होती है। क्योंकि महिलाएं इस दिन अपनी संतान की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। इस व्रत में भगवान गणेश की पूजा होती है। जानिए सकट चौथ की पूजा विधि, मंत्र, कथा और महत्व।
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सकट चौथ व्रत के दिन प्रात: काल स्नान के बाद हाथ में सिक्का, फूल और जल लेकर निर्जला या फलाहार व्रत का संकल्प लें। शाम को शुभ मुहूर्त में जहां पूजा करनी है वहां गोबर से लेपन करें और गंगाजल छिड़कर पूजा की चौकी रखें। चौकी पर स्वच्छ पीला कपड़ा बिछाएं। पान के पत्ते पर कुमकुम से स्वास्तिक बनाकर गणपति जी के समक्ष रखें। अब उन्हें सुपारी, लौंग, इलायची, लाल या पीले फूल, पंचमेवा, धूप, दीप, रोली, मौली, हल्दी, मेहंदी, अक्षत, सिंदूर, मौसमी गणपति जी को चढ़ाएं। 21 दूर्वा गांठ जोड़े में अर्पित करें। इस व्रत में तिल का खास भोग लगाया जाता है। तिल में गुड़ और गाय का धी मिलाकर तिलकुट चढ़ाएं या 'गं' कहते हुए तिल के 11 लड्डू भी भोग में लगा सकते हैं। इससे हर किसी कार्य में बाधा नहीं आती। चौमुखी दीपक लगाकर अब सकट चौथ व्रत की कथा पढ़े। पूरे परिवार सहित गणेश जी की आरती करें और संतान को तिलक लगाकर भोग में चढ़ाया प्रसाद खिलाएं और बाकी अन्य में बांट दें। सकट चौथ व्रत में गणेश की पूजा के बाद बच्चों से हरी चीजों का दान दिलवाएं। चांद निकलने के बाद चांदी के कलश में दूध, गंगाजल मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य दें। इस दौरान ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम: मंत्र का जाप करें, इससे मन पर नियंत्रण करने की शक्ति मिलेगी और चंद्र दोष दूर होगा।

सकट चाैथ की प्रचलित कथा
किसी नगर में एक कुम्हार रहता था। एक बार जब उसने बर्तन बनाकर आंवां लगाया तो आंवां नहीं पका। परेशान होकर वह राजा के पास गया और बोला कि महाराज न जाने क्या कारण है कि आंवां पक ही नहीं रहा है। राजा ने राजपंडित को बुलाकर कारण पूछा। राजपंडित ने कहा, ''हर बार आंवां लगाते समय एक बच्चे की बलि देने से आंवां पक जाएगा।'' राजा का आदेश हो गया। बलि आरम्भ हुई। जिस परिवार की बारी होती। वह अपने बच्चों में से एक बच्चा बलि के लिए भेज देता। इस तरह कुछ दिनों बाद एक बुढ़िया के लड़के की बारी आई। बुढ़िया के एक ही बेटा था तथा उसके जीवन का सहारा था। पर राजाज्ञा कुछ नहीं देखती। दुखी बुढ़िया सोचने लगी, ''मेरा एक ही बेटा है, वह भी सकट के दिन मुझ से जुदा हो जाएगा।'' तभी उसको एक उपाय सूझा। उसने लड़के को सकट की सुपारी तथा दूब का बीड़ा देकर कहा, ''भगवान का नाम लेकर आंवां में बैठ जाना। सकट माता तेरी रक्षा करेंगी।''
सकट के दिन बालक आंवां में बिठा दिया गया और बुढ़िया सकट माता के सामने बैठकर पूजा प्रार्थना करने लगी। पहले तो आंवां पकने में कई दिन लग जाते थे, पर इस बार सकट माता की कृपा से एक ही रात में आंवां पक गया। सवेरे कुम्हार ने देखा तो हैरान रह गया। आंवां पक गया था और बुढ़िया का बेटा जीवित व सुरक्षित था। सकट माता की कृपा से नगर के अन्य बालक भी जी उठे। यह देख नगरवासियों ने माता सकट की महिमा स्वीकार कर ली। तब से आज तक सकट माता की पूजा और व्रत का विधान चला आ रहा है।
वास्तु टिप्स :-पाने चाहते मनचाही नौकरी करें ये आसान उपाय जिससे बदल जाएगी आपकी किस्मत।सकट चौथ 2023 शुभ योग
सकट चौथ का व्रत इस बार बेहद शुभ संयोग में रखा जाएगा। इस दिन तीन प्रीति, आयुष्मान और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। शास्त्रों के अनुसार माघ माह की चतुर्थी के दिन ही भगवान गणेश ने अपने माता-पिता की परिक्रमा कर अपनी तेज बुद्धि का परिचय दिया था। ऐसे में इन तीन खास योग में सकट चौथ व्रत में गजानन जी की उपासना करने से संतान की बुद्धि और बल में बढ़ोत्तरी होगी।
प्रीति योग - 9 जनवरी 2023, सुबह 10.32 - 10 जनवरी 2023, 11.20
आयुष्मान योग - 10 जनवरी 2023, 11.20 - 11 जनवरी 2023, दोपहर 12.02
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