धर्म डेस्क:- माँ सरस्वती पूजा के दिन आप स्टडी रूम में उस दीवार पर माता सरस्वती की तस्वीर स्थापित करें, जहां से पढ़ते समय वह तस्वीर बच्चों के सामने हो। पढ़ते समय रोज मां सरस्वती की तस्वीर बच्चों के सामने रहेगी, वे देखें। इससे उनकी एकाग्रता एवं ज्ञान में वृद्धि होगी। इससे शिक्षा में सफलता प्राप्त होगी।
सरस्वती जी को विद्या, संगीत और बुद्धि की देवी भी कहा गया है। कहा जाता है कि सरस्वती जी के आशीर्वाद से समस्त संशयों का निवारण हो जाता है। सरस्वती जी की आराधना करने से सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है। माता सरस्वती को संगीत शास्त्र की अधिष्ठात्री देवी कहा गया है।
सरस्वती को विद्या और बुद्धि की देवी माना गया है। जिस तरह भगवान शंकर का वाहन नंदी, विष्णु का गरुड़, कार्तिकेय का मोर, दुर्गा का सिंह और श्रीगणेश का वाहन चूहा है, उसी तरह सरस्वती का वाहन हंस है। यहां जानिए देवी सरस्वती का वाहन हंस क्यों है?
प्रथमं भारती नाम द्वितीयं च सरस्वती। तृतीयं शारदा देवी चतुर्थं हंसवाहिनी॥ अर्थात सरस्वती का पहला नाम भारती, दूसरा सरस्वती, तीसरा शारदा और चौथा हंसवाहिनी है। यानी हंस उनका वाहन है।
सहज ही यह जिज्ञासा होती है कि आखिर हंस सरस्वती का वाहन क्यों है? सबसे पहले तो यह बात समझना होगी कि यहां वाहन का अर्थ यह नहीं है कि देवी उस पर विराजमान होकर आवागमन करती हैं। यह एक संदेश है, जिसे हम आत्मसात कर अपने जीवन को श्रेष्ठता की ओर ले जा सकते हैं। हंस को विवेक का प्रतीक कहा गया है। संस्कृत साहित्य में नीर-क्षीर विवेक का उल्लेख है। इसका अर्थ होता है- दूध का दूध और पानी का पानी करना। यह क्षमता हंस में विद्यमान होती है।
नीरक्षीरविवेके हंसालस्यं त्वमेव तनुषे चेत्। - भामिनीविलास
इसका अर्थ है कि हंस में ऐसा विवेक होता है कि वह दूध और पानी पहचान लेता है।
हंस का रंग शुभ्र सफेद होता है। यह रंग पवित्रता और शांति का प्रतीक है। शिक्षा प्राप्ति के लिए पवित्रता आवश्यक है। पवित्रता से श्रद्धा और एकाग्रता आती है। शिक्षा की परिणति ज्ञान है। ज्ञान से हमें सही और गलत या शुद्ध और अशुद्ध की पहचान होती है। यही विवेक कहलाता है। मानव जीवन के विकास के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है, इसलिए सनातन परम्परा में जीवन का पहला चरण शिक्षा प्राप्ति का है, जिसे ब्रह्मचर्य आश्रम कहा गया है।
जो पवित्रता और श्रद्धा से ज्ञान की प्राप्ति करेगा, उसी पर सरस्वती की कृपा होगी। सरस्वती की पूजा-उपासना का फल ही हमारे अंत:करण में विवेक के रूप में प्रकाशित होता है। हंस के इस गुण को हम अपनी जिंदगी में अपना लें तो कभी असफल नहीं हो सकते। सच्ची विद्या वही है जिससे आत्मिक शांति प्राप्त हो।
सरस्वती का वाहन हंस हमें यही संदेश देता है कि हम पवित्र और श्रद्धावान बन कर ज्ञान प्राप्त करें और अपने जीवन को सफल बनाएं।
हिन्दू धर्म में प्रतिवर्ष बसंत पंचमी के दिन छात्रों और विद्वानों द्वारा माता सरस्वती की पूजा की जाती है। आमतौर पर शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी कार्यालयों में बसंत पंचमी के दिन ज्ञान प्राप्ति के उद्देश्य और देवी से आशीर्वाद प्राप्त करने के हेतु इसे त्योहार रूप में मनाया जाता है ।
जब बच्चे या आप पढ़ाई करें तो आपको मुख पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि आपकी पीठ दीवार से सटी हो। यह वास्तु अनुसार अच्छी स्थिति होती है। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो सरस्वती पूजा के दिन से इस उपाय को अपना सकते हैं।
आपने पढ़ाई पूरी कर ली है और नौकरी की तलाश कर रहे हैं, तो आपको उत्तर दिशा वाले स्थान पर बैठकर तैयारी करनी चाहिए। ऐसा करने से आपको नौकरी प्राप्त करने में सफलता मिल सकती है।
स्टडी रूम पश्चिम और पश्चिमी नैऋत्य दिशा में होता है, तो अच्छा रहता है। कमरे में हल्का सफेद या हल्का क्रीम कलर लगा सकते हैं। इससे एकाग्रता बढ़ती है।
प्रमाण :- इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’
(आपकी कुंडली के ग्रहों के आधार पर राशिफल और आपके जीवन में घटित हो रही घटनाओं में भिन्नता हो सकती है। पूर्ण जानकारी के लिए कृपया किसी पंड़ित या ज्योतिषी से संपर्क करें।)
Comments
Post a Comment