धर्म डेस्क:-संक्रांति का फलित-ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मकर संक्रांति के कारण देश दुनिया में काफी फल पड़ने वाला है। कई क्षेत्रों में बारिश कम होगी जिसके कारण सूखा का प्रभाव अधिक रहेगा। इसके साथ ही बदलते मौसम के कारण अधिक लोगों के सेहत पर बुरा असर पड़ेगा। वहीं सरकारी कर्मचारियों के प्रति लोगों का काफी गुस्सा बढ़ेगा। यह संक्रांति कई लोगों के लिए शुभ साबित नहीं होगा।
देशभर में व्यापारी वर्ग को लाभ होगा। पैदावार में वृद्धि होगी। राजनेता व शासक वर्ग को लाभ होगा। पशुधन की हानि होगी। कृषि एवं कृषक वर्ग को हानि होगी। जनमानस व प्रजा को कष्ट होगा। खाद्य पदार्थ मंहगे होंगे। ब्राह्मण वर्ग को कष्ट होगा।
मकर संक्रांति 2023 का वाहन क्या है?
इस बार मकर संक्रांति का वाहन व्याघ्र यानि बाघ है और उपवाहन घोड़ा, अस्त्र गदा, दृष्टि ईशान, करण मुख दक्षिण, वारमुख पश्चिम और वस्त्र पीला है। पंचांग के अनुसार संक्रांति का आगमन पीत वस्त्र, पर्ण कंचुकी, कंगन, जातिपुष्प धारण किए कुमार्यावस्था में कुमकुम लेपन कर गदा लिए रजत पात्र में पायस भक्षण करते पश्चिमाभिमुख उत्तर दिशा की ओर गमन करते हो रहा है। कर संक्रांति 2023 की अवस्था भोग, स्थिति बैठी, पुष्प जटी और भोजन पात्र चांदी है।
स्नान व दान-
मकर संक्रांति के दिन श्रद्धालुगणों को पवित्र नदी में काले तिल का उबटन लगाकर स्नान करना एवं तिल से बनी वस्तुओं, कम्बल एवं वस्त्रादि का दान करना श्रेयस्कर रहेगा।
बाघ को बुद्धि के साथ काम लेने और उग्र स्वभाव का माना जाता है। ऐसे में संक्रांति के दिन सूर्य पूजन से बुद्धि तीव्र बनेगी और स्वभाव में उग्रता पनपेगी। यहां उग्रता से मतलब है चुस्ती।
मकर संक्रांति का ऐतिहासिक महत्व
ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिये मकर संक्रांति का ही चयन किया था। मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं।
मकर संक्रांति से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं क्या हैं?
शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रान्ति के दिन ही भगवान विष्णु के अंगूठे से निकली देवी गंगाजी भागीरथ के पीछे.पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं और भगीरथ के पूर्वज महाराज सगर के पुत्रों को मुक्ति प्रदान हुआ था. इसीलिए इस दिन बंगाल के गंगासागर में कपिल मुनि के आश्रम पर एक विशाल मेला लगता है.
पिता और पुत्र के आपसी मतभेद को दूर करने और अच्छा संबंध स्थापित करने के लिए सूर्य इस दिन शनि देव की राशि मकर में प्रवेश करते हैं। तब से इस संक्रांति को मकर संक्रांति के नाम से मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन ही बाणों की सज्जा पर लेटे भीष्म पितामह ने अपना देह त्याग कर मोक्ष की प्राप्ति की थी।
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(आपकी कुंडली के ग्रहों के आधार पर राशिफल और आपके जीवन में घटित हो रही घटनाओं में भिन्नता हो सकती है। पूर्ण जानकारी के लिए कृपया किसी पंड़ित या ज्योतिषी से संपर्क करें।)
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