धर्म डेस्क:- पुराणों के अनुसार प्रभु श्रीराम का जन्म त्रेतायुग और द्वापर युग के संधिकाल में हुआ था। चैत्र नवरात्रि के आखिरी दिन रामनवमी मनाई जाएगी। रामनवमी के दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। यहां पढ़िए श्रीराम जन्म कथा यानी भगवान राम के जन्म की पूरी कहानी। वहीं दूसरी कथा के अनुसार मनु और शतरूपा को भगवान विष्णु ने वरदान दिया था, जिसके कारण उन्हें धरती पर राम का अवतार लिया। पौराणिक कथाओं के अनुसार मनु औऱ उनकी पत्नी शतरूपा से ही मनुष्य जाति की उत्पत्ति हुई। इन दोनों पति और पत्नी के आचरण बहुत ही अच्छे थे।

हिंदू मान्यताओं के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान श्रीराम ने इस धरती पर जन्म लिया था। हर साल इस दिन रामनवमी का त्योहार मनाया जाता है। महर्षि वाल्मीकि के बाल कांड और तुलसीदास के रामचरित मानस में इसी तिथि को श्रीराम के जन्म का उल्लेख किया गया है। हालांकि उनके जन्म को लेकर अलग-अलग मत हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम एक अवतारी पुरुष थे। उन्हें विष्णु जी का सातवां अवतार माना जाता है। श्रीराम को धरती पर मर्यादा का संदेश देने के लिए भेजा गया था। इसलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से भी जाना जाता है।

दशरथ द्वारा कोसल चलाया जा रहा था, जो ईशवु वंश के थे। उनकी तीन पत्नियां थीं कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी। ऋषि ऋष्यशृंग की मदद से, दशरथ ने दो यज्ञ, अश्वमेध और पुटरकामेश्वरी किया। अग्नि ने यज्ञ के दौरान यज्ञ-कुंड से बाहर निकलकर दशरथ को खीर का एक बर्तन दिया। अग्नि द्वारा दशरथ को पुत्रों का आशीर्वाद पाने के लिए तीनों पत्नियों के बीच खीर समान रूप से वितरित करने की सलाह दी गई थी। राजा दशरथ ने यज्ञ का प्रसाद अपनी तीनों पत्नियों कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी को दिया। प्रसाद के फलस्वरूप रानी कौशल्या ने गर्भधारण किया और इस तरह चैत्र शुक्ल नवमी को श्रीराम जन्मे। यज्ञ प्रसाद के फलस्वरूप राजा दशरथ की दूसरी रानी सुमित्रा ने दो और कैकेया ने एक पुत्र को जन्म दिया। राजा दशरथ के सभी पुत्र तेजस्वी हुए। इन चारों भाइयों का नाम राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न रखा गया।
कथा के अनुसार त्रेतायुग में राक्षसराज रावण के आतंक और अत्याचारों में तीनो लोकों में हाहाकार मची हुई थी। समस्त देवतागण भी रावण के अत्याचारों से तरस्त थे। पृथ्वी लोक और देवलोक को रावण के अत्याचारों से मुक्त करने के लिए भगवान विष्णु ने राजा दशरथ के यहां माता कौशल्या की गर्भ से जन्म लिया। इस अवतार में भगवान विष्णु ने अनेक राक्षसों का वध कर मर्यादा का पालन करते हुए अपना जीवन यापन किया। मान्यता है कि समस्त लोकों को मर्यादा का संदेश देने के लिए भगवान राम पिता के कहने पर सब राजपाट छोड़ कर वन को चले गए थे।
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