धर्म डेस्क:- महर्षि ऋचीक ने महर्षि अगत्स्य के अनुरोध पर जमदग्नि को महर्षि अगत्स्य के साथ दक्षिण में कोंकण प्रदेश मे धर्म प्रचार का कार्य करने लगे। कोंकण प्रदेश का राजा जमदग्नि की विद्वता पर इतना मोहित हुआ कि उसने अपनी पुत्री रेणुका का विवाह इनसे कर दिया। इन्ही रेणुका के पांचवें गर्भ से भगवान परशुराम का जन्म हुआ।
परशुराम जयंती हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख महीने में शुक्ल पक्ष तृतीया के दौरान आती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम का जन्म प्रदोष काल के दौरान हुआ था। यही कारण है कि परशुराम जयंती समारोह तब किया जाता है जब प्रदोष काल के दौरान तृतीया होती है। ह भी माना जाता है कि अन्य सभी अवतारों के विपरीत परशुराम अभी भी पृथ्वी पर रहते हैं, इसलिए उनकी पूजा नहीं की जाती है।

परशुराम रामायण काल के दौरान के मुनी थे। पूर्वकाल में कन्नौज नामक नगर में गाधि नामक राजा राज्य करते थे। उनकी सत्यवती नाम की एक अत्यन्त रूपवती कन्या थी। राजा गाधि ने सत्यवती का विवाह भृगुनन्दन ऋषीक के साथ कर दिया। सत्यवती के विवाह के पश्चात वहाँ भृगु जी ने आकर अपने पुत्रवधू को आशीर्वाद दिया और उससे वर माँगने के लिये कहा। इस पर सत्यवती ने श्वसुर को प्रसन्न देखकर उनसे अपनी माता के लिये एक पुत्र की याचना की। सत्यवती की याचना पर भृगु ऋषि ने उसे दो चरु पात्र देते हुये कहा कि जब तुम और तुम्हारी माता ऋतु स्नान कर चुकी हो तब तुम्हारी माँ पुत्र की इच्छा लेकर पीपल का आलिंगन करें और तुम उसी कामना को लेकर गूलर का आलिंगन करना। फिर मेरे द्वारा दिये गये इन चरुओं का सावधानी के साथ अलग अलग सेवन कर लेना।
जमदग्नि ब्राह्मण होते हुए भी उनमें क्षत्रिय के गुण थे। यह उनके पिता के कारण था, जिनके पास क्षत्रिय के गुण थे, क्योंकि जमदग्नि की मां सत्यवती ने उनके जन्म से पहले एक गलती की थी, जिसके परिणामस्वरूप जमदग्नि एक क्षत्रिय की क्षमता के साथ पैदा हुए थे। वह पृथ्वी पर प्रकट हुआ जब बुराई हावी थी और क्षत्रिय वर्ग दूसरों को डराने लगा था। परशुराम सात चिरंजीवी में से एक हैं जो भगवान हनुमान, कृपाचार्य, महाबली, अश्वत्थामा, भगवान परशुराम, विभीषण, व्यास हैं।
परशुराम दो शब्दों का मिलन है परशु और राम। जिसमे परशु शब्द का अर्थ ‘कुल्हाड़ी’ होता है, इसलिए परशुराम नाम का अर्थ है ‘कुल्हाड़ी वाला राम’ .परशुराम भगवान् विष्णु के छटे अवतार थे।परशुराम जी के गुरु भगवन शिव थे क्योकि विष्णु भगवान , शिव को अपना देवता मानते हैं इसलिए परशुराम जी भी शिव भक्त थे. उन्होंने भगवान शिव से शास्त्रों और युद्ध की कलाओं को सीखा। फिर उन्होंने भगवान शिव के निर्देश पर भगवान शिव और अन्य देवताओं से आकाशीय हथियार प्राप्त किए।
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