धर्म डेस्क:- कथाओं की मानें तो राधा-कृष्ण का विवाह सीधे तौर पर तो नहीं हुआ लेकिन दोनों जीवन भर एक-दूसरे से प्रेम करते रहे। ब्रह्मावैवर्त पुराण के अनुसार ही राधा का विवाह यशोदा के भाई रायान गोपा से हो गई थी और राधा रिश्ते में कृष्ण की मामी लगने लगी थी, इसलिए भी उऩ्होंने शादी नहीं की थी। श्रीकृष्ण और राधा गोलोक एकसाथ निवास करते थे। एक बार राधा की अनुपस्थिति में कृष्ण विरजा नामक की एक गोपिका से विहार कर रहे थे। तभी वहां राधा आ पहुंची और उन्होंने कृष्ण और विरजा को अपमानित किया। इसके बाद राधा ने विरजा को धरती पर दरिद्र ब्राह्मण होकर दुख भोगने का श्राप दे दिया।
राधा और कृष्ण की शादी नहीं हुआ कारण २ अपने पिछले जन्म में अभिमन्यु नाम से जाना जाता था और यह लक्ष्मी से विवाह करने की कामना की थी। राधा लक्ष्मी के गोलोक अवतार थी और कृष्ण के एकमात्र प्रेम भी थे। श्राप के कारण कृष्ण को अपने प्रेम राधा से अलग होना पड़ा था और अयान के पिछले जन्म के कारण भी कृष्ण और राधा की बिबाह नहीं हो पाया। लेकिन अयान और राधा से कोई वास्तविक विवाह नहीं होने दिया, लेकिन उसकी इच्छा के अनुसार वह लोगों के लिए उसकी पत्नी बन गई।
लेकिन भगवान कृष्ण ने राधा की इच्छा से प्रकृति और अन्य भगवान को प्रकट करने वाले सभी रीति-रिवाजों के साथ राधा से शादी की, लेकिन समाज के सामने नहीं किया, लोगों के लिए राधा अयान की पत्नी थी। लेकिन वास्तव में वह नहीं थी। उसने केवल अपने पिता के लिए ऐसा करना परा और साथ ही राधा को भी रानी बनने में कोई दिलचस्पी नहीं थी। आखिर ऐसा क्या हुआ था की भगवान श्री कृष्ण ने रुक्मणी का हरण कर विवाह किया था जानिए पूरा सच।
राधा और कृष्ण की शादी क्यों नहीं हुई थी इसका तीसरा कारण है की कृष्ण ने अपने जन्म के सत्य को छुपाया था। यह जानते हुए कि कृष्ण को कंस द्वारा उनके जीवन का खतरा था, राधा के पिता ने उन्हें जबरदस्ती अयान से शादी करने के लिए कहा। तो कृष्ण ने अपने जादू से कोई विवाह नहीं होने दिया, उन्होंने या तो छाया राधा की रचना की थी या फिर वे स्वयं अयान बन गए थे।
कृष्ण यह साबित करना चाहते थे कि सच्चे प्यार में किसी को हासिल करना जरूरी नहीं है। इसलिए उन्होंने राधा से सभी रीति-रिवाजों के साथ विवाह किया लेकिन केवल भगवान और प्रकृति को सबूत बनाकर लोगों के सामने नहीं बल्कि कई कारणों से जैसा कि मैंने कहा है। राधा और कृष्ण का प्रेम बिना किसी वासना, कामुक इच्छाओं या किसी भी शारीरिक संबंध से शुद्ध था। राधा और कृष्ण का विवाह नहीं हुआ लेकिन वह प्रेम दिव्य और आध्यात्मिक था। वे एक दूसरे के बहुत बड़े भक्त भी थे। और कृष्ण राधा के साथ धरती पर आए थे, दुनिया को सच्चे प्यार का अर्थ बताने के लिए कि प्यार को किसी रिश्ते, लगाव या किसी भी इच्छा की आवश्यकता नहीं होती है।
वह श्री कृष्ण से पूछते है कि ‘प्रेम और भक्ति में क्या श्रेष्ठ है’ तब श्रीकृष्ण अपने भक्त को द्वारपाल बना कर विश्राम करने चले जाते हैं और वहीं सोचते हैं, कि ‘प्रेम और भक्ति में क्या श्रेष्ठ है’। श्री कृष्ण को जब कुछ समझ नहीं आता तो वह राधा को याद करते हैं और राधा भी उनके पास दौड़ी चली जाती हैं। मगर, श्रीधामा उन्हें अंदर नहीं जाने देते। दोनों में तर्कवितर्क होता है। जैसे ही राधा श्री कृष्ण के कक्ष में प्रवेश करने वाली होती हैं श्रीधामा उन्हें 100 वर्ष तक श्री कृष्ण को भूल जाने और मृत्युलोक में रहने का श्राप दे देते हैं। श्रीधामा के श्राप के बाद राधा को पृथ्वीलोक जाना होता है। श्री कृष्ण भी अपनी राधा से मिलने के लिए पृथ्वी पर जन्म लेते हैं। मगर, राधा को गोलोक का कुछ भी याद नहीं होता।

भले राधा को गोलोक के बारे में कुछ भी याद नहीं होता मगर श्री कृष्ण उन्हें कभी सपने तो कभी अपनी आंखों में गोलोक के दर्शन कराते रहते हैं। राधा को भी श्री कृष्ण से प्रेम हो जाता है। मगर, राधा के बाल सखा एवं महापंडित उग्रपत के पुत्र आयान को भी राधा से प्रेम होता है। वह राधा को हासिल करने के लिए श्री कृष्ण को मारने का प्रयास करता रहता है। राजा कंस के साथ मिल कर वह श्री कृष्ण को राधा से दूर करने के लिए एक के बाद एक असुर बुलाता है। मगर, राधा-कृष्ण को अलग नहीं कर पाता है।
तब ही एक घटना के दौरान राधा के पिता को अपने परम मित्र उग्रपत को वचन देना होता है कि वह जीवन में एक बार उग्रपत की किसी एक मांग को जरूर पूरा करेंगे। मौका आने पर उग्रपत अपने बेटे आयान का विवाह राधा से करने की बात रखते हैं। मगर, राधा के पिता राधा का विवाह श्री कृष्ण से ही कराना चाहते हैं और अपना वचन पूरा नहीं कर पाने के लिए वह सन्यास लेने की घोषणा करते हैं। तब ही, श्री कृष्ण को गोलोक में श्री धामा द्वारा राधा को दिया श्राप याद आता है। श्री कृष्ण इस बात का जिक्र राधा से करते हैं और विवाह को न करने की बात रखते हैं। इसके साथ ही वह राधा को पुत्री धर्म निभाने के लिए भी कहते हैं। राधा अपने पिता का मान रखने के लिए श्री कृष्ण की जगह अपने बाल सखा आयान से विवाह कर लेती हैं और श्री कृष्ण भी अपना कर्म करने के लिए वृंदावन से मथुरा चले जाते हैं। इस तरह राधा और कृष्ण कभी भी एक दूसरे से विवाह नहीं कर पाते हैं।
प्रमाण :-
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