शिव-पार्वती के विवाह की तिथि मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को आता है। वहीं, ईशान संहिता में वर्णन है कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान लिंग रूप में प्रकट हुए थे।
माता पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थीं। सभी देवता इस रिश्ते से खुश थे और सभी चाहते थे की पर्वत राजकन्या माता पार्वती और भगवन शिव का विवाह हो। माता पार्वती की ओर से कुछ लोग भगवान शिव के पास पार्वती जी का रिश्ता लेके गए। शिव जो की एक तपस्वी (साधु) हैं, वे किसी रिश्ते नाते में नहीं बांधना चाहते थे। रिश्ते की खबर सुनकर वे क्रोधित हो उठे और उन्होंने अपनी तीसरी आँख खोली। उसके प्रकोप से रिश्ता लेके आये लोग भस्म हो गए।
भगवान शिव द्वारा रिश्ता ठुकराने की खबर सुन कर माता पार्वती को बहुत दुःख हुआ। परंतु वे तो ठान लिया था की वे शादी करेंगी तो बस महादेव से ही। इसी दृढ़निश्चय के साथ माता पार्वती ने शिव जी को पाने के लिए तपस्या शुरू कर दी। उनकी तपस्या से सभी जगह हाहाकार मच गया। बड़े बड़े पर्वत भी डगमगाने लगे। इन सभी बातों का जब भगवान शिव को स्मरण हुआ तब उन्होंने अपना ध्यान तोडा और अपनी आंखें खोली।
भगवान शंकर ने पार्वती के अपने प्रति अनुराग की परीक्षा लेने के लिये सप्तऋषियों को पार्वती के पास भेजा। उन्होंने पार्वती के पास जाकर उसे यह समझाने के अनेक प्रयत्न किये कि शिव जी औघड़, अमंगल वेषधारी और जटाधारी हैं और वे तुम्हारे लिये उपयुक्त वर नहीं हैं। उनके साथ विवाह करके तुम्हें सुख की प्राप्ति नहीं होगी। तुम उनका ध्यान छोड़ दो। किन्तु पार्वती अपने विचारों में दृढ़ रहीं। उनकी दृढ़ता को देखकर सप्तऋषि अत्यन्त प्रसन्न हुये और उन्हें सफल मनोरथ होने का आशीर्वाद देकर शिव जी के पास वापस आ गये। सप्तऋषियों से पार्वती के अपने प्रति दृढ़ प्रेम का वृत्तान्त सुन कर भगवान शंकर अत्यन्त प्रसन्न हुये।
निश्चित दिन शिव जी बारात ले कर हिमालय के घर आये। वे बैल पर सवार थे। उनके एक हाथ में त्रिशूल और एक हाथ में डमरू था। उनकी बारात में समस्त देवताओं के साथ उनके गण भूत, प्रेत, पिशाच आदि भी थे। सारे बाराती नाच गा रहे थे। सारे संसार को प्रसन्न करने वाली भगवान शिव की बारात अत्यंत मन मोहक थी, ब्रह्मा जी की उपस्थिति में विवाह समारोह शुरू हो गया। इस तरह शुभ घड़ी और शुभ मुहूर्त में शिव जी और पार्वती का विवाह हो गया और पार्वती को साथ ले कर शिव जी अपने धाम कैलाश पर्वत पर सुख पूर्वक रहने लगे।
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