धर्म डेस्क:- मान्यता है कि शनिवार के दिन पीपल के पेड़ पर कच्चा दूध चढ़ाने से आपकी राशि के सभी ग्रह शांत होते हैं और शनि देव भी प्रसन्न होते हैं। महिलाएं यदि शनिवार को पीपल के पेड़ पर दूध चढ़ातीं है तो उन्हें सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है, जो कर्म के आधार पर दंड के विधान के तहत कार्य करते हैं। मान्यता के अनुसार इनके सिर पर स्वर्णमुकुट, गले में माला औश्र शरीर पर नीले रंग के वस्त्र और शरीर भी इंद्रनीलमणि के समान है। यह गिद्ध पर सवार रहते हैं।
इनके हाथों में धनुष, बाण, त्रिशूल रहते हैं। शनि के फेर से देवी-देवताओं को तो छोड़ो शिव को भी बैल बनकर जंगल-जंगल भटकना पड़ा। रावण को असहाय बनकर मौत की शरण में जाना पड़ा। शनि को सूर्य का पुत्र माना जाता है। उनकी बहन का नाम देवी यमुना है।
वहीं ज्योतिष के अनुसार कई बार ऐसा होता है कि ग्रहों की चाल बदलने से जीवन में कष्टमय हो जाता है, लेकिन ग्रहों की अनिष्टदायक स्थिति को मंगलमय बनाने के लिए कुछ उपाय जरूरी होते हैं। ऐसे में ईश्वर में श्रद्धा रखने वाले कुछ लोग रोजाना पूजा-पाठ करते हैं, तो कुछ लोग विशेष दिन ही पूजा पाठ करते हैं।
इसी वजह से शनिवार के दिन पीपल के पेड़ और कच्चे दूध का बड़ा महत्व होता है. ऐसी मान्यता है कि हर शनिवार पीपल के पेड़ पर कच्चा दूध चढ़ाने से सभी ग्रह शांत हो जाते हैं, खासकर राहु-केतु, शनि और पितृ दोष. इसी वजह से खास मंत्रों के साथ शनिवार को लोग पीपल के पेड़ की पूजा करते हैं।
शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे कच्चा दूध चढ़ाने की मान्यता है। आपने कई बार लोगों को शनिवार के दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाते हुए भी देखा जाता है। जानकारों के अनुसार प्रत्येक शनिवार को पीपल के वृक्ष पर जल, कच्चा दूध चढ़ाकर, सात परिक्रमा करके सूर्य, शंकर और पीपल इन तीनों की सविधि पूजा करना चाहिए।
साथ ही चढ़े हुए जल को नेत्रों में लगाएं और “पितृ देवाय नम:” का जाप चार बार करें, माना जाता है कि ऐसा करने से राहु, केतु के साथ ही शनि व पितृ दोष का निवारण होता है। इसके अलावा सुबह उठते ही माता-पिता, गुरु और वृद्धजनों को प्रणाम करें और उनका आत्मिक आशीर्वाद प्राप्त करके दिन को सफल बनाएं। इसके साथ ही 5 सुगंधित अगरबत्ती लगाकर दिन की शुरूआत करें।
संभव हो तो गाय का पूजन करके ‘आज के दिन यह कामधेनु वांछित कार्य करेगी’ ऐसी प्रार्थना मन में करें। घर आए मेहमानों की सेवा निष्ठा भाव से करनी चाहिए क्योंकि अतिथि को भगवान तुल्य माना गया है।
सुबह भोजन बनाते समय माताएं-बहनें एक रोटी एक रोटी अग्निदेव के नाम से बनाएं। इस रोटी को घी तथा गुड़ के साथ बृहस्पति भगवान को अर्पित करें।
इससे घर में वास्तु पुरुष को भोग लग जाता है साथ ही अन्नपूर्णा भी प्रसन्न रहती हैं।
सुबह स्नान करके भगवान शंकर के शिवलिंग पर जल चढ़ाकर 108 बार ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र की पूजा से युक्त दंडवत नमस्कार करना चाहिए।
स्नान के बाद सूर्यनारायण भगवान को लाल फूल चढ़ाकर हाथ जोड़कर प्रणाम करें।
पितृ दोष से मुक्ति के लिए नित्य महागायत्री के महामंत्र की नियमित साधना करें।
साथ ही श्री रामेश्वर धाम की यात्रा कर वहां पूजन करें।
पीपल के वृक्ष के कई ज्योतिषीय गुण बोध माने गए हैं। पीपल को बृहस्पति ग्रह से जोड़ा जाता है। माना जाता है कि पीपल का बृहस्पति से सीधा संबंध होता है। बृहस्पति को सभी ग्रहों में सबसे अधिक लाभ देने वाला ग्रह माना जाता है। बृहस्पति धन का कारक ग्रह है। बृहस्पति जब भी किसी की कुंडली में प्रवेश करते हैं, उस व्यक्ति को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने को कहा जाता है। माना जाता है कि पीपल में जल चढ़ाने से कुंडली में मौजूद कमजोर बृहस्पति मजबूत होता है और मजबूत बृहस्पति समृद्ध।
प्रमाण :-
इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’
(आपकी कुंडली के ग्रहों के आधार पर राशिफल और आपके जीवन में घटित हो रही घटनाओं में भिन्नता हो सकती है। पूर्ण जानकारी के लिए कृपया किसी पंड़ित या ज्योतिषी से संपर्क करें।)
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