धनतेरस से जुड़ी एक और मान्यता के अनुसार, देवताओं को राजा बलि के भय से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और राजा बलि के यज्ञ स्थल पर पहुंच गए। शुक्राचार्य ने वामन रूप में भी भगवान विष्णु को पहचान लिया और राजा बलि से आग्रह किया कि वामन कुछ भी मांगे उन्हें इंकार कर देना। लेकिन बलि ने शुक्राचार्य की बात नहीं मानी। वामन भगवान द्वारा मांगी गई तीन पग भूमि, दान करने के लिए कमंडल से जल लेकर संकल्प लेने लगे। बलि को दान करने से रोकने के लिए शुक्राचार्य राजा बलि के कमंडल में लघु रूप धारण करके प्रवेश कर गए। इसकी वजह से कमंडल से जल निकलने का मार्ग बंद हो गया। वामन अवतार में भगवान विष्णु शुक्राचार्य की चाल को समझ गए। भगवान वामन ने अपने हाथ में रखे हुए कुशा को कमंडल में ऐसे रखा कि शुक्राचार्य की एक आंख फूट गयी। शुक्राचार्य छटपटाकर कमण्डल से निकल आये। बलि ने संकल्प लेकर तीन पग भूमि दान कर दिया।
इसके बाद भगवान वामन ने अपने एक पैर से संपूर्ण पृथ्वी को नाप लिया और दूसरे पैर से अंतरिक्ष को। तीसरा पग रखने के लिए कोई स्थान नहीं होने पर बलि ने अपना सिर वामन भगवान के चरणों में रख दिया। बलि दान में अपना सब कुछ गंवा बैठा। इस तरह बलि के भय से देवताओं को मुक्ति मिली और बलि ने जो धन-संपत्ति देवताओं से छीन ली थी उससे कई गुणा धन-संपत्ति देवताओं को मिल गई। इस उपलक्ष्य में भी धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।
धनतेरस देश में पांच दिवसीय दिवाली के पर्व को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. धनतेरस से इस त्योहार की शुरुआत होता है और ये भाई दूज पर समाप्त होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार बड़ी दिवाली कार्तिक महीने की पूर्णिमा को मनाई जाएगी है। मां लक्ष्मी के साथ गणेश भगवान और कुबेर देव की भी पूजा की जाएगी। इस से रोशनी का पर्व भी कहा जाता है।
धनतेरस और दिवाली के दिन माता लक्ष्मी भगवान गणेश के साथ घर के आभूषणों आदि का पूजन किया जाता है. इस दिन 26 दीपों के बीच एक तेल का दीपक रखकर उसके चारों बातियों को जलना चाहिए। इस दीपमाला का पूजन करके इन दीपों को घर के अलग-अलग स्थानों पर रखें ध्यान रखें कि 4, 7, 9 बत्ती वाला दीपक रातभर जलता रहे।
लोग दिवाली पर साफ-सुथरे घर में दीये जलाते हैं, लाइट्स लगाते हैं. कई शहरों को तो बिल्कुल दुल्हन की तरह सजाया जाता है। लोग पूजा के बाद एक दूसरे के घर प्रसाद और मिठाई बांटने भी जाते हैं। सुबह से ही दिवाली की रात के जश्न की तैयारी शुरू हो जाती है.ऐसे में सुबह उठकर सबसे पहले लोग दिवाली की बधाई अपने दोस्तों और रिश्तेदारों तक पहुंचाते हैं। कई लोग तो दिवाली के कुछ दिन पहले से ही शुभकामनाएं भेज देते हैं।
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(आपकी कुंडली के ग्रहों के आधार पर राशिफल और आपके जीवन में घटित हो रही घटनाओं में भिन्नता हो सकती है। पूर्ण जानकारी के लिए कृपया किसी पंड़ित या ज्योतिषी से संपर्क करें।)
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